पिता के लिए गर्व का पल, बेटे को सेना की वर्दी में देख रोक नही पाए खुद को और किया बेटे को सैल्यूट, अफसर बने युवाओं की बेहतरीन कहानियां.

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कल भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में अंतिम पग रखते ही 341 नौजवान भारतीय सेना का हिस्सा बन गए, और इनमें से उत्तराखंड के 37 युवा भी सेना में शामिल हो गए हैं। देवभूमि वीरभूमि कहलाती है, और हर साल उत्तराखंड के युवा भारतीय सेना का हिस्सा बनते हैं। इन सबकी अपनी-अपनी कहानियां है, जो सबको प्रेरित करती है। इन सभी ने उत्तराखंड का मान बढ़ाया है।चलिए आपको ऐसे ही कुछ कहनी बताते हैं।

ये कहानी उत्तरकाशी रजत की है: टिहरी के करोली कंगसाली के रहने वाले रजत भंडारी 22 साल के हैं। उनके पिता सोबन भंडारी निम में प्रशिक्षक और मां एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती हैं। उन्होंने10वीं तक जिला मुख्यालय स्थित एक निजी स्कूल से पढ़ाई की। उसके बाद ऋषिकेश से इंटर और कंप्यूटर साइंस से स्नातक के लिए दिल्ली आ गए। वहां पढ़ते समय ही उनका चयन सीडीएस के लिए हो गया। उसके बाद उन्होंने सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी। वहीं उन्होंने बताया की युवाओं को गणित, अंग्रेजी और सामान्य अध्ययन पर फोकस करने जरूरी है।ALSO READ THIS:फुटपाथ पर सो रहे लोगों पर चढ़ा दी गाड़ी, एक की मौके पर ही मौत, अन्य गंभीर रूप से घायल, पढ़े पूरी खबर…

वहीं, दूसरी कहानी ,उत्तरकाशी के ही मानपुर, भटवाड़ी के रहने वाले सुमित जब सैन्य अफसर की वर्दी में पिता के सामने गए तो वह पल बेहद भावुक करने वाला था। 10वीं गढ़वाल राइफल से हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए जयप्रकाश भट्ट ने बेटे को सैल्यूट किया और उनकी आंखों नम हो गई। उन्होंने कहा कि इससे बड़ा गौरव का पल कोई नहीं हो सकता है। जय प्रकाश और तामेश्वरी भट्ट का बेटा सुमित ने 2015 में हाईस्कूल किया,और फिर उसके बाद केंद्रीय विद्यालय ओएनजीसी से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की। उन्होंने बताया की सुमित पढ़ाई में काफी अच्छे थे और पहले ही प्रयास में उन्होंने एनडीए की परीक्षा पास कर ली।पिता ने कहा कि मैं सिपाही के तौर पर भर्ती हुआ था लेकिन मैं चाहता था कि, बेटा सेना में अफसर बने। मैं अपने बेटे को सैल्यूट करूं। बता दें की, सुमित 3/8 गोरखा राइफल्स में तैनाती मिली है।

तीसरी कहानी है बागेश्वर के रहने वाले भरत सिंह फरस्वाण की जब वो छोटे थे तो उनके मामा सेना के बारे में बताया करते थे। उनकी बातें सुनकर भरत ने सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का मन बना लिया था। और फिर 12 जून का दिन उनके जीवन का बड़ा दिन था। उनके मामा और पूरा परिवार काफी खुश है। भरत के पिता हरीश फरस्वाण किसान और मां पार्वती देवी गृहणी हैं। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद 6 से 12वीं की पढ़ाई सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से की। उनके मामा बहादुर सिंह कोरंगा फौज में थे। वह हमेशा भरत को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते थे।

वहीं, कर्णप्रयाग के कुकड़ई गांव के रहने वाले रजत नेगी भी सेना में अफसर बन गए हैं। उन्होंने आदर्श विद्या मंदिर कर्णप्रयाग से हाईस्कूल और एसजीआरआर से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता सुजान सिंह नेगी जीआईसी केदारूखाल में अंग्रेजी के सहायक अध्यापक और मां विमला देवी गृहणी हैं। पूरे परिवार में खुशी की लहर है। ALSO READ THIS:युवाओं के लिए खुशखबरी NDA परीक्षा की आवेदन प्रक्रिया हुई शुरू, 29 जून है आखिरी तारीख..

चौथी कहानी आपको सच में भावुक कर देगी, नवीन पंत के नाना चाहते थे कि जब वह पास आउट हो तो, वह उसे सैल्यूट करें लेकिन उनके नाना नहीं रहे। वहीं, शनिवार को उनकी जगह उनकी नानी ने उन्हें सैल्यूट किया तो दोनों रो पड़े। पौड़ी के पोखड़ा के एरोली मल्ली के रहने वाले नवीन पंत के पिता हवलदार (सेवानिवृत्त) और मां ऊषा पंत अपने बेटे की इस उपलब्धि पर काफी खुश है। परिवार और गांव में खुशी का लहर है। नवीन ने केंद्रीय विद्यालय हाथीबड़कला नंबर वन और सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से पढ़ाई की है। उन्हें बतौर अफसर 12 ग्रेनेडियर में नॉर्थ ईस्ट में तैनाती मिली।

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