आपको बता दें कि उत्तराखंड में कोरोना महामारी अभी पूरी तरह से गई नहीं थी कि अब मलेरिया ने भी देवभूमि में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। रुड़की में एक ही परिवार के चार लोगों को मलेरिया हो गया, जिसमें से माँ बेटें की मौत हो चुकी है और भाई बहन अस्पताल में भर्ती है। कलियर क्षेत्र में रहने वाले कई अन्य लोग भी बुखार से पीड़ित हैं। मृतक के परिजनों का कहना है कि ना तो स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुँची है और न ही गन्दे नालों की सफ़ाई की जा रही है।
बरसाती सीजन में वायरल, मलेरिया, डेंगू एवं स्क्रब टाइफस बुखार के मरीज सामने आने लगे हैं। इनमें से मलेरिया जानलेवा साबित हो रहा है। कलियर में तीन दिनों में लगभग दो लोगों की मौत हो चुकी है। आठ दिन पहले रुड़की के आरोग्यम अस्पताल में कलियर निवासी तबस्सुम पत्नी रियासत को भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया, जहां दो दिन पहले उसकी मौत हो गई।
बीते सोमवार को उनके बेटे आहत की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। 14 साल की बेटी मंतसा का रुड़की के तुलसी अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टर नवीन बंसल ने बताया कि मंतसा की मलेरिया रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है। साथ ही प्लेटलेट्स घटने के कारण खून में कमी की भी शिकायत सामने आई है। जबकि मंतसा का नौ साल को छोटा भाई अकदस को भी मलेरिया से पीड़ित होने पर एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
परिजनों का कहना है कि उनके मोहल्ले में जिन लोगों में बुखार की शिकायत है उनका ऑक्सिजन लेवल काफ़ी कम हो रहा है। साथ ही मरीज़ बुखार के अलावा उल्टी और शरीर में जकड़न की शिकायत कर रहे हैं। ये लोग अपने स्तर पर ही अलग-अलग अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।
डॉक्टर नवीन बंसल ने बताया कि इलाज में देरी करने की वजह से ही है बुखार सीता दिमाग़ पर अटैक करता है। जिसे सेरीब्रल मलेरिया कहा जाता है। ऐसे होने पर मरीज़ की चंद घंटों में ही मौत की आशंका बनी रहती है। अगर मरीज़ का सही समय पर इलाज हो तो उसके ठीक होने की संभावना 90% तक बनी रहती है।
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