धर्म और आध्यात्मिक महत्व की कैलाश मानसरोवर यात्रा 5 साल के अंतराल के बाद इस वर्ष 30 जून से फिर से शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से शुरू होने वाली इस यात्रा का इंतजार बड़ी संख्या में श्रद्धालु कर रहे हैं। दिल्ली से शुरू होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा पिथौरागढ़ के लिपुलेख दर्रा मार्ग से होकर गुजरेगी, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद है।
बता दे कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयास सफल हो रहे हैं। इसी के साथ अब कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग टनकपुर और चंपावत से होकर गुजरेगा, जो पहले काठगोदाम और अल्मोड़ा से होकर जाती थी। कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को 10 जुलाई को लिपुलेख दर्रा पार कर चीन में प्रवेश कराया जाएगा, जिसमें 50 यात्री शामिल होंगे। और 22 अगस्त को कैलाश मानसरोवर यात्रा का अंतिम दल भारत वापस लौटेगा, जिससे इस धार्मिक यात्रा का समापन होगा। बताते चले कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के आयोजन के लिए विदेश मंत्रालय में बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें कुमाऊं मंडल विकास निगम की भागीदारी पर चर्चा हुई। कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान यात्री टनकपुर, धारचूला, गुंजी, नाभी ढांग और तकलाकोट में ठहरेंगे और फिर चीन से वापसी पर बंदूी, चौकड़ी और अल्मोड़ा में रात्रि विश्राम करेंगे।
तो वहीं कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान गुंजी में स्वास्थ्य परीक्षण एक महत्वपूर्ण चरण होगा, जिसमें यात्रियों की शारीरिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा। बताते चले कि दिल्ली में कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य होगा, जिससे उनकी यात्रा की तैयारी का आकलन किया जा सके।