आजकल के लोग उन मां बाप की जान के दुश्मन भी बन जाते हैं जिस मां ने उस बेटे या बेटी के लिये 9 महीने की कठिन पीड़ा झेली होती हैं। क्या हमारा यही फ़र्ज़ बनता है कि जैसे ही हम अपने पैरों पर खड़ें होते हैं तो अपने माँ बाप को ही भूल जाएं या फिर उनको अपनी जन्दगी से दूर करदे या फिर उनकी जान के ही दुश्मन बन जाएं क्या ये ही इंसानियत बची है हमारे समाज में अगर नहीं तो हमको आजकल की आम ज़िंदगी में ऐसी खबरें देखने व सुनने को आख़िर क्यों मिलती हैं। क्यों क्यो और क्यों..
आइये अब आपको खबर की ओर ले चलते हैं ।
दरहशल महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद में ऐसी ही घटना सामने आ रही हैं जहां कच्ची घाटी में एक शक्श ने अपनी माँ को ही रात के घुप्प अंधेरे में जंगल में फेंक दिया। 90 साल की महिला का बस इतना दोष था कि ये किसी कारणवस कोरोना वायरस से संक्रमित हो गयी। यह महिला जंगल में रात को करीब 1स घण्टे से ज्यादा समय तक तड़पती रही। जब पुलिस को इस बात की खबर लगी तो पुलिस झट से वहां पहुंची जहां पुलिस के द्वारा महिला को अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां जांच से पता चला कि यह महिला कोरोना से संक्रमित है। इसके बाद पुलिस ने इस बुजुर्ग के परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और इसके परिवार की तलाश में जुट गई पूछताछ में बूढ़ी अम्मा ने बताया कि उसके परिवार को इस बात की जानकारी थी कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूँ जिसके बाद उन्होंने मुझे रात के समय में एक कम्बल के साथ जंगल में छोड़ दिया। फिलहाल महिला की हालत स्थिर बतायी जा रही है।
लेकिन आज न जाने कैसे कैसे लोग इस दुनिया में हैं लोग इतने स्वार्थी हो चुके हैं कि उन्हें ये भी पता नहीं कि कौन अपना है कौन पराया बस लोगों की सोच अपने काम का मतलब पूरा होने तक सीमित हैं।
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