अगर दुनियां में मधुमक्खी ना रहे तो पृथ्वी से इंसान की मौजूदगी भी धीरे-धीरे खत्म हो सकती है, जानिए कारण…

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If there is no bee in the world, then the presence of humans from the earth can also end slowly, know the reason

हमारे आस पास हमे बहुत से पशु पक्षी देखने को मिलते हैं लेकिन कई प्रजातियाँ हैं जो धीरे धीरे लुप्त होती जा रही हैं।उन्ही में से एक है मधुमक्खियां जो धीरे धीरे विलुप्त होने की सूची में शामिल है।रॉयल ज्योग्राफिक सोसाइटी ऑफ लंदन में मीटिंग हुई थी जिसमें अर्थवॉच इंस्टीट्यूट के द्वारा बताया गया कि मधुमक्खी हमारे जीवन का एक अमूल्य हिस्सा है।इनके विलुप्त होने से मानव जाति पर भी बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है।

मधुमक्खियाँ जीवन चक्र का एक अहम हिस्सा है। इन्हे किसी और जीव से बदला नहीं जा सकता।मधुमक्खियों और पेड़, फूल पौधों के बीच का स्मबैंड किसी से छिपा नहीं है।पृथ्वी को समृद्ध बनाने में मधुमक्खियों का बहुत बड़ा हाथ है।मानव जाति के उत्थान का एक कारण मधुमक्खियों को ही माना जाता है।

इस समय हमारे पृथ्वी पर 20, 000 से अधिक प्रजातियां मधुमक्खियों की है।यह सभी मधुमक्खियां अपने आसपास के पेड़ पौधों एवं फूलों के मुताबिक ही खुद को ढालने का प्रयास करती है।इन्ही से ही पेड़ पौधों में विविधता बढ़ती है।इनके परागण से पूरे विश्व में 87 मुख्य खाद्य फसलें संचालित होती है। यह बहुत से पशु पक्षियों को भोजन प्राप्त करवाने का अच्छा जरिया है।

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने बताया है कि , “मधुमक्खी की आबादी में गिरावट के कारण कुछ फसलों में जैसे कोको, कॉफी,सेब, बादाम और टमाटर और सेब पर उल्टा प्रभाव पड़ रहा है।अगर मधुमकियां विलुप्त हो गई तो इन सभी चीजों पर तो फर्क पड़ेगा ही साथ ही शहद का स्रोत भी खत्म हो जाएगा। शहद को आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण औष्यधि के रूप में बताया गया है।यह कई लोगों के लिए कमाई का एक जरिया है।इससे करीब 235 बिलियन डॉलर से 577 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष कमाई की जाती है।

मधुमक्खियों का विलुप्त होने का पहला कारण बढ़ती आबादी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण लोग जंगल एवं अन्य उत्पादों का उपयोग कर रहे है। जिससे इनपर सीधा बुरा प्रभाव पड़ रहा है। टेक्नोलॉजी भी एक कारण है इनके विलुप्त होने का।ऐसा बोला जा रहा है कि इनके विलुप्त होने का कारण भी फ़ोन से निकलने वाली तरंगे है।था उन्हे नुकसान पहुंचाती है।‘द ऑस्ट्रेलियन’,डैनियल फेवरे और जीवविज्ञानी ने इस बात की पुष्टि की है।विषैले कीटनाशक के प्रयोग से भी इनपर गहरा असर पड़ता है।इन सभी कारणों पर सभी को ध्यान देने और सुधारने की आवश्यकता है।सरकार और किसानों को भी इनसे जुड़ी बातों पर अमल करने की जररूत है। तभी यह जीवन चक्र सही बना रहेगा।

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