बस्तर के बेटे का शौर्य:नक्सली चारों तरफ से गोलियां बरसा रहे थे, SI दीपक साथियों को बचाने लगे; तभी ब्लास्ट हुआ और वे शहीद हो गए शनिवार को बीजापुर में हुए नक्सलियों के हमले से देश भर में शोक की लहर उमड़ पड़ी है। यहांसुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई जिसमे हमारे 24 जवानों के शहीद होने की खबर आई है।इन 24 जवानों में से एक CRPF के इंस्पेक्टर और एक SI भी थे।जानकारी के मुताबिक शनिवार को बस्तर के बीजापुर में नक्सलियों ने पुलिस और CRPF के 700 जवानों को घेर कर उन पर हमला कर डाला।

इस हमले के दौरान छत्तीसगढ़ पुलिस के एसआई दीपक और उनकी टीम भी हमले का शिकार हुई।लेकिन एसआई दीपक ने खुद को परवाह किए बिना अपने साथियों को बचाना उचित समझा। वे अपने सभी साथियों को फायरिंग से बचाने में लग गए।इसी के चलते उनके सामने ही एक ब्लास्ट हुआ,और वह अपनी कुर्बानी दे,शहीद हो गए। यह जानकारी वहां मौजूद एक जवान के द्वारा दी गई है।उन्होंने बताया कि उन सभी पर अचानक ही हमला और फायरिंग होने लगी जिसमे उनके कुछ साथी घायल हो गए। उन्होंने जल्दी से उन घायल जवानों को बीच में रख उनके किनारे घेरा बनाकर नक्सलियों को हमले का जवाब देने में जुट गए।
उन्होंने यह भी बताया कि एसआई दीपक 4 से 5 जवानों की जान बचा रहे थे कि वह एक IED ब्लास्ट में शहीद हो गए।इस मुठभेड़ में वह अपनी टीम को लीड कर रहे थे। फायरिंग के बाद दीपक समेत कुछ जवान लापता बताए जा रहे थे।यह जानकारी जब दीपक के घर पर पहुंची तो उनके माता पिता से न रहा गया और वह बीजापुर के लिए निकल पड़े। दोपहर तक उनका कुछ पता नहीं चल सका।जब बैकअप टीम तर्रेम थाना क्षेत्र के जीवनागुड़ा इलाके में गई तो उन्हे वहां एक पेड़ के पास एसआई दीपक का शव मिला। सर्चिंग के समय पर ब्लास्ट और फायरिंग दोनो का ही खतरा रहता था।लेकिन एसआई दीपक हमेशा ही मुस्कुराते हुए ही पाए जाते थे।

दीपक जांजगीर जिले के पिहरीद के निवासी थे।उनका जन्म 6 सितंबर 1990 को हुआ था और पॉलिसी में भर्ती 16 सितंबर 2013 में हुए।उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ कई ऑपरेशन किए है।अपने स्कूल के समय में वह एक होशियार विद्यार्थी थे।छठवीं से 12वीं तक की पढ़ाई उन्होंने नवोदय विद्यालय मल्हार से की।उनका फोकस गाना गाने और खेल में रहता था। बास्केट बॉल में उन्होंने नेशनल प्रतियोगिता खेली थी।इस खेल के वे अच्छे खिलाड़ी थे। दीपक की शादी को अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था उनकी शादी 2019 में हुई थी।इस समय उनकी तैनाती बीजापुर में थी।
जहां तर्रेम के अंदरूनी इलाके में वह सर्चिंग पर साथी जवानों के साथ निकले थे।उन्होंने खुद को जंगल के तौर-तरीकों में ढाल चुका था।और वह बहुत पॉजिटिव इंसान थे।सभी को वह पॉजिटिव रहने की सलाह दिया करते थे।बेटे का शव देख पिता के आसूं बहने लगे।वह शव से लिपट गए।बहुत समय बाद उन्होंने जांजगीर के पुलिस अधिकारियों से वार्तालाप की।उन्होंने बताया कि दीपक से उनकी बात ही से पहले हुई थी।उसने कहा था कि वह अभी बहुत बिजी है जिसकी वजह से वह बात नही कर पा रहा है।