देश के युवाओं में सेना में भर्ती होने का जुनून कुछ इस प्रकार है कि वे भर्ती होने के लिए फर्जी दस्तावेज तक बनवा लेते हैं। जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि सेना में भर्ती होने के लिए एक आयु निर्धारित की गयी है। लेकिन कुछ अभ्यर्थी ऐसे होते हैं जिनकी भर्ती होने की उम्र निकल जाती है। ऐसे अभ्यर्थियों को भर्ती करवाने का ठेका एक फर्जी गैंग ने ले रखा था। पुलिस ने इस गैंग के दो सदस्यों को पकड़ लिया है। हालांकि 2 सदस्य अभी भी फरार है। पुलिस दोनों की तलाश में जुटी हुई है। यह गैंग अभ्यर्थियों से 5-5 लाख रुपये लेकर अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज बनाता था। यह गैंग दस्तावेजों में अभ्यर्थियों का नाम, निवास स्थान और जन्मतिथि (DOB) तक बदल देता था।
एसपी वेंकट अशोक ने कहा कि यह गैंग फर्जी निवास प्रमाण पत्र, कूटरचित और फर्जी मार्कशीट भी अभ्यर्थियों के लिये तैयार करता था। लेकिन 21 मार्च की रात को भदरौली पुलिस ने गाँव की घेराबंदी कर गैंग के 2 सदस्यों को पकड़ लिया। इनमें से एक का नाम नीरज परिहार और दूसरे का नाम मनोज कुमार है। अन्य दोनों फरार सदस्यों का नाम साधु यादव और दीपक है। गैंग के सरदार का नाम सुरेंद्र सिंह है। सुरेंद्र राजाखेड़ा के डडवार गाँव का निवासी है। सिकंदरा पुलिस सुरेंद्र को पहले भी गिरफ्तार कर एक बार जेल भेज चुकी है।
जैसे ही भर्ती के आवेदन शुरू हो जाते थे। तभी से यह गैंग उन अभ्यर्थियों को ढूढ़ने लग जाता था जिनकी भर्ती देने की उम्र निकल चुकी हो या फिर जो पहले किसी भर्ती ने निकल नहीं पाये हों। फिर ये गैंग अभ्यर्थियों से 5 लाख रुपये लेकर उन्हें भर्ती कराने का जिम्मा लेता था। भर्ती में दौड़ के लिये यह गैंग किसी दूसरे युवक को भेजता था। लेकिन मेडिकल के लिए अभ्यर्थियों को खुद जाना पड़ता था। नौकरी के लालच में अभ्यर्थी भी 5 लाख रुपये देकर फर्जी दस्तावेज बनवा लेते थे।