आपको बता दें कि इंडियन आर्मी में महिला ऑफिसर्स को परमानेंट कमिशन अभी तक नहीं मिला लेकिन लड़ाई अभी भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आर्मी की 615 महिला अधिकारियों के लिए परमानेंट कमिशन का स्पेशल बोर्ड बैठाया गया था। जिसके बाद कई महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन दे दिया गया। लेकिन जिन्हें परमानेंट कमिशन नहीं मिला और महिला अफसरों का आरोप है कि आर्मी ने सुप्रीम कोर्ट का पूरी तरह से पालन नहीं किया। आर्मी की 28 महिला अधिकारियों ने अब आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल से न्याय की गुहार लगाई है। साथ ही महिला अधिकारियों ने 12 सितंबर तक आर्मी छोड़ने का आदेश भी दे दिया है। आज आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल में इसकी सुनवाई होगी।
एक महिला अधिकारी का कहना है कि आर्मी ने परमानेंट कमिशन देने के लिए हमारी सर्विस की शुरू के 5 साल को सी कंसीडर किया है। और उस ग्राउंड पर परमानेंट कमिशन देने से मना कर दिया है। जबकि हमारी ओवरऑल प्रोफाइल की वजह से हमें कंसीडर किया जाना चाहिए था। हम आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल में इस अपील के साथ गए हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारे रेकॉर्ड को देखते हुए हमें पहले 5 साल की सर्विस के बाद एक्सटेंशन मिला और फिरअब 10 साल की सर्विस के बाद एक्सटेंशन मिला। अगर हम सर्विस के लिए अनफिट होते तो यहां तक भी नहीं पहुंच पाते। जिन 28 महिला अधिकारियों ने आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल में अपील की है उनमें से ज्यादातर महिला अधिकारियों की 20 साल से ज्यादा की सर्विस हो चुकी है।
महिला अधिकारी ने बताया कि अभी भी 100 महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन नहीं मिला है। 72 अधिकारियों का रिजल्ट अलग-अलग आधार पर रोका गया है और हम 28 महिला अधिकारियों को आर्मी छोड़ने के लिए 12 सितंबर का वक्त दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि 14 जुलाई को बोर्ड रिजल्ट आया था और आर्मी ने हमें 15 जुलाई को लेटर जारी कर 12 सितंबर तक आर्मी छोड़ने का आदेश दे दिया था।
उन्होंने कहा कि जब भी कोई आर्मी से रिटायर होता है तो उसे इतना टाइम दिया जाता है कि वह आगे के लिए तैयार हो सके, कोई रीसेटलमेंट कोर्स कर सके ताकि आगे सेटल हो पाये। लेकिन हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में 10 साल से ज्यादा लंबी लड़ाई लड़ने के बाद कोर्ट के आदेश पर आर्मी मे महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने पर राजी हुई लेकिन उनके साथ अब भी इंसाफ नही किया जा रहा है।