अफगानिस्तान से मिल रही बुरी खबरों की जानकारी ने सबको चौकाया है। बुधवार को इस मामले में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने भी बात की। साथ ही उन्होंने कई प्रकार के सुझाव भी दिए। उन्होंने बताया कि यदि अफगानिस्तान से किसी तरह के आतंकवादी गतिविधि भारत में होती है तो इससे सख्ती से ही निपटा जाएगा। उन्होंने यह अंदेशा जताया कि तालिबानी शासन के अंदर अफगानिस्तान से बड़ी आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियां भी बढ़ सकती हैं, वे पाकिस्तान के इशारों में भारत को भी निशाना बना सकते है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने का अंदेशा था लेकिन यह इतनी जल्दी हो जाएगा इसकी उम्मीद नहीं थी। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) ने एक कार्यक्रम आयोजित किया है, जिसमे तालिबान हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो के संग संबोधित कर रहे थे। इसमें चीन के आक्रामक व्यवहार और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में ”आधारभूत सुरक्षा चिंताओं” की भी टिप्पणी की गई थी।
जनरल बिपिन रावत का कहना यह भी है कि बीते 20 साल में तालिबान जरा भी नहीं बदला है।जैसे तालिबान 20 साल पहले था वैसे ही अब भी है। इस बात की पुष्टि खबरों और वहां से आए हुए लोगों के द्वारा की गई है। केवल तालिबान के सहयोगी और साझेदार बदले है। तालिबान आज भी वैसा ही है केवल उसके सहयोगी बादल गए हैं। साथ ही उन्होंने सुझाव देते हुए यह भी कहा कि वैश्विक युद्ध में ‘क्वाड राष्ट्रों’ को आतंकवाद के खिलाफ अपना सहयोग बढ़ाना चाहिए।क्वाड का हिस्सा भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया है।
बिपिन रावत ने कहा कि भारतीय सैनिक क्षेत्र में आतंकवाद मुक्त माहौल को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। अफगानिस्तान का सवाल है तो वह सुनिश्चित करेंगे कि वहां से भारत पहुंचने वाली किसी भी गतिविधि से उसी तरह निपटा जाए जैसे वे अपने देश में आतंकवाद से निपट रहे हैं। उन्होंने कहा उन्हे लगता है कि यदि क्वाड देशों से कोई समर्थन मिलता है तो कम से कम उन्हे आतंकवादियों की पहचान और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध लड़ने के लिए खुफिया जानकारी के तौर पर, तो उन्हे लगता है कि इसका स्वागत किया जाना चाहिए। तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान से आतंकी गतिविधियों के उत्पन्न होने को लेकर भारत चिंतित है। इसलिए इससे निपटने के लिए कुछ आपातकालीन योजनाओं की तैयारियां की गई हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हे अंदेशा था कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा कर सकता है। साथ ही वे इस बात से चिंता में थे अफगानिस्तान से कैसे आतंकवादी गतिविधियां भारत तक पहुंच सकती हैं। इस सब के बाद अब उनकी इमर्जेंसी प्लानिंग चल रही हैं जिसके लिए वे तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जिस तेजी से अफगानिस्तान में यह सब हुआ उसने उन सब को चौंका दिया।उनका अंदाजा कुछ महीने बाद का था। वहीं व्यापक रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों को लेकर एडमिरल एक्विलिनो ने उल्लेख किया है। साथ ही उसे भविष्य का महत्वपूर्ण क्षेत्र बताया है। नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर हमला करना सभी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। साथ ही एक्विलिनो ने इसे एक मूलभूत सुरक्षा चिंता भी करार दिया।इसके अलावा उन्होंने आर्थिक दबाव, भ्रष्टाचार कई और मामलों को भी चिंता जताई। विशेष रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय, संप्रभुता के संदर्भ में कई चुनौतियां हैं।
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