चीन की नई चाल, अरुणाचल के युवाओं को चीनी सेना में भर्ती करवाने की योजना बना रहा ड्रैगन….

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China trying to recruit youths of Arunachal pradesh into chinese army

सीमा में भारत और चीन के जारी विवाद के बीच चीन की एक और चाल सामने आई है, जिसमें चीन पर आरोप लगे हैं कि वह अरुणाचल प्रदेश के युवाओं को जबरन चीनी सेना में भर्ती करवाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले साल गलवान में हुई चीन और भारत के बीच झपड के बाद चीन ने पूर्वोत्तर में सीमा पर लगातार अपनी गतिविधियां बढ़ाई है। आपको बता दें कि अरुणाचल की 1126 किमी लंबी सीमा तिब्बत से सटी है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है और इस राज्य को उसने भारत के हिस्से के तौर पर कभी मान्यता नहीं दी। पिछले साल गलवान घाटी में हुए हमले के बाद चीन ने अरुणाचल प्रदेश में अपनी गतिविधियां बढ़ाई है। बांध से लेकर हाइवे और रेलवे लाइन का निर्माण हो या फिर भारतीय सीमा के अंदर से पांच युवकों के अपहरण का मामला, चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के भारतीय सीमा में घुसपैठ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अब बात यह सामने आई है कि चीन सीमाओं में रह रहे भारतीय युवाओं की भर्ती पीएलए में कराने का प्रयास कर रहा है। इसके बाद मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने केंद्र सरकार से सीमावर्ती इलाकों में बेसिक परियोजनाओं का काम तेज करने का अनुरोध किया है ताकि बेरोजगारी और कनेक्टिविटी जैसी समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सके।

कांग्रेस के पूर्व सांसद निनॉन्ग एरिंग ने कहा कि चीन अरुणाचल प्रदेश के युवाओं को पीएलए में भर्ती करने की कोशिश कर रहा है। साथ ही उन्होंने यह कहा कि “अब तक हमें जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार, चीनी पीएलए तिब्बत के साथ-साथ अरुणाचल के युवाओं की भर्ती करने की कोशिश कर रहा है। यह गंभीर चिंता का विषय है और केंद्रीय रक्षा मंत्रालय और गृह को इसे गंभीरता से लेना चाहिए “। 

बता दें कि लोबा समुदाय के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा और सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले अरुणाचल प्रदेश के लोगों के बीच समानता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे चीनी पीएलए में शामिल होना चाहेंगे।’ अरुणाचल प्रदेश के निवासी चीन से प्रभावित नहीं होंगे। पूर्व सांसद ने कहा, “मैं रक्षा मंत्रालय से मामले को गंभीरता से लेने और हमारी सीमा को बचाने के लिए विभिन्न बलों में अरुणाचली युवाओं की भर्ती के लिए कदम उठाने का अनुरोध करना चाहता हूं।”

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पिछले 1 साल के अंतर्गत चीनी सेना द्वारा कई बार सीमा उल्लंघन करने का मामला सामने आया है। वह इलाका इतना दुर्गम है कि हर जगह सेना की तैनाती संभव नहीं होती।

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