शीर्ष कमांडरों की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर की जायेगी, प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा ग्रह मंत्रालय…

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Defence ministry considering appointment of top commanders on the basis of merit instead of seniority

नई दिल्ली: जैसा की हम सभी जानते हैं इस समय तक सैन्य बलों के शीर्ष कमांडरों की नियुक्ति चुनाव वरिष्ठता के कारण होता आया है। लेकिन अब तीनो सेना यानि वायुसेना, थल सेना और नौसेना में कमांडर इन चीफ की नियुक्ति के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय में एक प्रस्ताव की समीक्षा की जा रही है। यदि यह प्रस्ताव पास हो गया तो सैन्य बलों के शीर्ष कमांडरों की नियुक्ति में क्रांतिकारी बदलाव आयेगा साथ ही सेना प्रमुखों का चुनाव वरिष्ठता के बजाय मेरिट के आधार पर किया जायेगा।

यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपने सूत्रों से दी है, रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रस्ताव का उद्देश्य थ्री स्टार अधिकारियों और कमांडर इन चीफ्स के लिए एक मेरिट आधारित पॉलिसी बनाने की है। आर्मी में लेफ्टिनेंट जनरल, वायुसेना में एयर मार्शल और नौसेना में वाइस एडमिरल की पदोन्नति के लिए एक प्रगतिशील, साझा करने की बात भी कही गई है। यदि उह प्रस्ताव पास हो गया तो सैन्य प्रमुखों के चुनाव के लिए मेरिट आधारित नियम बनाए जायेंगे जिसे तय करने के लिए तीनो सेनाओं की एक तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया जा सकता है। इस समय इस प्रस्ताव को लेकर सैन्य बलों के भीतर कुछ गंभीर चिंताएं बनी हुई है। यह भी कहा गया कि यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो सैन्य बलों के कथित ‘डीप सेलेक्शन’ से अनावश्यक तौर पर शीर्ष पदों का भी राजनीतिकरण हो सकता है।

इसके लिए एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कम ही अधिकारी थ्री स्टार रैंक तक पहुंचते हैं जिनका मूल्यांकन इनके करियर में हर कदम पर मेरिट के आधार पर किया जाता है। इस तरह नीति के साथ छेड़छाड़ ही क्यों करना, जब सबको यह दशकों से ही स्वीकार है। इसके अलावा रिपोर्ट्स की में तो इस नीति में बदलाव के समर्थक वरिष्ठता के साथ साथ मेरिट के भी पक्षधर हैं। उनका मानना है कि शीर्ष पदों पर चयन के लिए यह दोनों ही चीजे मानक है। जैसा की हम सभी जानते है कि सशस्त्र बलों में अच्छा सामंजस्य बनाने हेतु देश संगठन एवं त्रि-सेवा थियेटर कमांड की ओर बढ़ रहा है, ताकि तीनो सेनाओं के बीच सशस्त्र बलों का एकीकरण हो सके।

चीफ लेवल पर पदोन्नति के लिए चार दशक पुराना नियम यह था कि अधिकारी की जन्मतिथि और सेना में कमीशन की तारीख को वरीयता मिलती है। इसके अलावा सेना में अधिकारी के पास 14 कोर में से एक को कमांड करने हेतु लेफ्टिनेंट-जनरल के रूप में भी उसकी मंजूरी तारीख से 3 साल की सेवा शेष होनी अनिवार्य है। इसके बाद अधिकारी के पास एक ट्रेनिंग कमांड और छह ऑपरेशनल में से एक के कमांडर इन चीफ के रूप में पदोन्नत होने के लिए करीब 18 माह की सर्विस होनी भी जरूरी है। यह समय नौसेना और वायुसेना में 12 माह का है। इस समय की नीति में अधिकारी की जन्म तिथि, कमीशन में वरिष्ठता और क्वालिफाइंग सेवा के आधार पर ही उसे पदोन्नति मिलती है। और लेफ्टिनेंट जनरल को कमांडर इन चीफ के रूप में पदोन्नति वैकेंसी के आधार पर स्वतः मिलती है।

नए मिलिट्री चीफ की नियुक्ति पिछली सरकारों ने वरिष्ठता के आधार पर की,लेकिन इसको लेकर कुछ अपवाद भी बने रहे।मोदी सरकार ने भी 2016 में जनरल बिपिन रावत को दो वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरल के ऊपर वरीयता दी और उन्हे आर्मी चीफ नियुक्त किया इसके साथ वे दिसंबर 2019 में पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त हुए।

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