जैसा कि हम सब जानते हैं माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत चोटी में से एक हैं। माउंट एवरेस्ट कि यह छोटी ख़ूबसूरत होने के साथ साथ जानलेवा भी है। इसी बीच एक ख़बर आयी है कि पिछले 25 साल से माउंट एवरेस्ट की चोटी पर एक ITBP का जवान सो रहा है। जी हाँ एक ITBP का जवान जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ा तो सही लेकिन कभी लौटकर वापस नहीं आया। साथ ही ख़बर मिली है कि इनकी लाश अभी तक इस एयरलिफ़्ट बड़ी बड़ी है और इन्हें लोग ग्रीन बूट्स के नाम से जानते हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक़ 10 मई 1996 में ITBP का जवान शेवांग पलजोर एवरेस्ट की चोटी पर सख़्ती करने के लिए निकला था। लेकिन तब से उसका कुछ पता नहीं चला जिसके बाद ITBP द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया। लेकिन किसी भी डॉक्टरों द्वारा उसके जीवित या मृत होने की जाँच नहीं की गई थी। आपको बता दें कि शेवांग पलजोर का शरीर माउंट एवरेस्ट की चोटी के क़रीब ढाई सौ मीटर नीचे दिखाई देता है। पर्वतारोही का कहना है कि उसे देखकर ऐसा लगता है कि जैसे वह कितना थका हुआ हो आराम कर रहा होगा। पर्वतारोही उसकी हारे जुटे देखकर अनुमान लगाते हैं कि उनकी यात्रा यहाँ पर पूरी होने वाली है। ग्रीन बोट्स से उनकी पहचान बन गई है।
आइटीबीपी के जवान शेवांग पलजोर 10 मई 1996 मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए निकले थे। उसी दौरान काफ़ी सौरव का तूफ़ान आया जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। वही है पहाड़ पर चढ़ने वाले लोगों ने कहा कि उनकी जान तूफ़ान में बच सकती थी लेकिन उनके साथियों ने पूरी तरह से उनका साथ नहीं दिया। शेवांग के साथ उनका एक साथी भी मदद की गुहार लगाता रहा लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की है जिसकी वजह से उन दोनों की मौत हो गई। क़रीब 25 साल से उन दोनों के शव वहीं पर पड़े हुए हैं और अब उन दोनों के शव रास्ता बताने का निशान बन चुके हैं।
इस विषय पर शेवांग की माता ताशी एंगलो का कहना है कि कभी भी ITBP द्वारा उनके बेटे को लेकर पूरी जानकारी नहीं दी गई। उन्हें सिर्फ़ इतना बताया गया है कि उनका बेटा लापता हो गया है। उन्होंने कई बार अपने बेटे कि कुछ सुराग़ मिल जाने की वजह से रोज़ ITBP ऑफ़िस के चक्कर लगाए। लेकिन उन्हें पता चला कि माउंट एवरेस्ट से कभी उनका बेटा लौटा ही नहीं और आज भी उनका शव वहीं पड़ा हुआ है।
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