बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि रावण कितना भी बुरा था लेकिन उसने माता सीता के साथ कभी दुर्व्यवहार नहीं किया। उसने कभी माता सीता को छूने की कोशिश नहीं की। लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। रावण ने ऐसा एक श्राप के कारण नहीं किया। चलिये अब जानते हैं कि क्या था वह श्राप।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। उसने भगवान शिव को प्रसन्न कर कई शक्तियां हासिल की। उन शक्तियों के बदौलत रावण ने तीनों लोकों को भी जीत लिया। लेकिन जब वह तीनों लोकों को जीतने के लिए रवाना हुआ तब वह स्वर्ग लोक के पास से गुजरा। तो आराम करने के लिए रावण अपने भाई कुबेर के शहर अलाका में गया।
जब रावण वहां आराम करने जा रहा था तब उसे रास्ते में स्वर्ग की अप्सरा रंभा दिखाई दी। रंभा की शादी कुबेर के बेटे नलकुबेर से होने वाली थी। लेकिन रावण रंभा की खूबसूरती देखकर उसपर मोहित हो गया। उसने रंभा के साथ दुर्व्यवहार और दुराचार करना चाहा। तो रंभा ने रावण को कहा कि उसकी शादी नलकुबेर से होने जा रही है। इसलिए रिश्ते में रंभा रावण की पुत्रवधू के समान हुई।
इसके बावजूद रावण चुप नहीं बैठा और उसने रंभा के साथ दुराचार किया। कुबेर के बेटे नलकुबेर को जब इस बात का पता चला तो उसने रावण को श्राप दे दिया। नलकुबेर ने कहा कि “हे रावण, यदि तूने किसी स्त्री को उसकी इक्छा के बिना छुआ तो तेरे सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे।” नलकुबेर के इसी श्राप के कारण रावण ने कभी सीता माता को नहीं छुआ। एक बार रावण ने सीता माता के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश जरूर की थी। लेकिन इतने में उसे यह श्राप याद आ गया।