गरीबी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी खेतों में मजदूरी करने को मजबूर..

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Gold medalist player forced to work on farm know what's the reason

 सरकार खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, वहीं लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां आर्थिक तंगी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को मजदूरी तक करनी पड़ रही है। आपको बता दें की हाल ही में झारखंड की एक खिलाड़ी को ईंट भट्टे पर काम करते देखा गया था। और अब पंजाब की कराटे खिलाड़ी हरदीप कौर को धान के खेतों में काम करना पड़ा रहा है। हरदीप की आमदनी केवल 300 रुपए प्रति दिन है, जबकि इस खिलाड़ी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण सहित 20 से अधिक पदक जीते हैं। वहीं, इस पर हरदीप का कहना है कि, गरीबी के कारण वह खेतों में मजदूरी करने को मजबूर है। और उन्होंने आगे कहा कि उसने कभी कल्पना नहीं की थी कि, उसे एक दिन खेत मे मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। पर इसके अलावा उनके पास कुछ नहीं है करने को।

हरदीप ने कहा, हम एक गरीब परिवार से हैं, उनके पास जमीन नहीं होने के कारण और इसलिए हमें मजदूरों के रूप में काम करना पड़ता है। वहीं, उन्होंने बताया की धान के खेतों में काम करके वे 300 रुपए से 350 रुपए के बीच कमाती है। उन्होंने आगे कहा की, मुझे अपने परिवार की सहायता के लिए खेतों में काम करना पड़ता है। हरदीप कौर के पिता नायब सिंह 55 और मां सुखविंदर कौर 45 भी धान के खेत में काम करते हैं। हरदीप फिलहाल पटियाला से फिजिकल एजुकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कर रही हैं। उन्होंने कहा,मैं पटियाला में डीपीईडी की पढ़ाई कर रही हूं और अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने और माता-पिता की सहायता के लिए घरेलू काम करती हूं और अब धान के खेतों में काम कर रही हूं।

और इसके अलावा हरदीप कहती हैं की, जब 2018 में उसे मलेशिया में स्वर्ण पदक मिला था तो तब सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई थी, लेकिन सरकार ने यह वादा अब तक पूरा नहीं किया। इसलिए उन्हें खेतों में काम करना पढ़ रहा है। उन्होंने कहा, पंजाब के खेल मंत्री राणा गुरमीत सोढ़ी ने उनसे मुलाकात की थी और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। लेकिन इस बात को लेकर तीन साल बीत गये हैं और अभी तक इस वादे को पूरा नहीं किया गया है। ALSO READ THIS:पांव फिसलने से छोटा भाई झरने में गिरा, बचाने के लिए बड़ी बहन ने लगाई छलांग, दोनों की दर्दनाक मौत….

उन्होंने बताया की वह नौकरी के लिए 4 बार चंडीगढ़ भी गयी थी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उसे एक आवेदन जमा करने के लिए भी कहा गया था, लेकिन उसके बाद किसी भी सरकारी कार्यालय द्वारा कभी बुलाया नही गया। सरकार वादे तो कर देती है पर उसे निभाने में कई साल लगा देती है। हरदीप के साथ भी ये ही हुआ। अब देखना ये होगा की क्या पंजाब सरकार तक ये बात पहुंचती है की नही, और सरकार कितनी जल्दी इस पर अपना फैसला सुनाती है।

 

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