कोरोना काल में हाथ से नौकरी छूटने से रोजगार का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। हजारों लोगों ने अपने गांव और शहर के लिए वापसी की है तो कुछ की कोरोना संकटकाल में नौकरी छिन गई। स्थिति यह है कि अब युवा अपने गांव घर लौटने के साथ स्थानीय स्तर पर ही नौकरी की तलाश कर रहे हैं। जिले में 34 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हैं। इसे में बहुत से लोग अवसाद में आ गए है और गलत कदम उठा रहे है।बीते दिनों में अवसाद के कारण खुड़खुशी के बहुत से केसेस सामने आ रहे है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है।
खबर हल्द्वानी जिले से सामने आई है। हल्द्वानी में एक 35 वर्षीय युवक ने बेरोजगारी से परेशान होकर अपनी जिंदगी खत्म कर दी। घटना हल्द्वानी जिले के ग्राम सभा हिम्मतपुर बैजनाथ की है जहां पर 35 वर्षीय नरेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे। उनकी शादी 2007 में जानकी से हुई थी। तन्मय और परी नाम की उनके दो बच्चे भी हैं। नरेंद्र सिंह पटवाल गुरुग्राम में नौकरी करते थे और साथ में उनकी पत्नी और बेटियां भी रहते थे। कोरोना काल के इस कहर में उनकी नौकरी छूट गई और वे अपने घर हल्द्वानी वापस लौट आए। जबकि उनकी पत्नी जानकी बेटी परी के साथ मायके में चली गई।बताया जा रहा है कि बेरोजगार होने से नरेंद्र बेहद परेशान चल रहे थे और उन्होंने आखिरकार आत्महत्या करने का फैसला लिया। उस रात उन्होंने अपनी पत्नी से फोन पर बात भी की।बीते रविवार की रात को नरेंद्र अपने कमरे में सोने गए और उसी रात उन्होंने अपनी जिंदगी समाप्त कर दी।युवक अपनी नौकरी छूटने की वजह अवसाद में था और इसी कारण उसने अपनी जान देना आसान समझा। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हाउस में भेज दिया।यह भी पड़े:देवभूमि का एक ओर लाल ड्यूटी के दौरान शहीद, 4 महीने बाद होना था रिटायर..
हादसे के बाद से ही मृतक के घर में कोहराम मचा गया। घटना का पता तब चला जब मृतक की मां बेटे के कमरे में पहुंची और अपने बेटे को पंखे के फंदे से लटकता हुआ पाया। अगली सुबह जब उनकी मां उसके कमरे में पहुंची तो अपने बेटे को पंखे से लटकता पा कर उनके होश उड़ गए। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लिया। शव को मोर्चरी में भेज दिया गया है। उनके जाने के बाद उनके दोनों मासूम बच्चों के सिर के ऊपर से पिता का साया उठ चुका है और उनके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।