उत्तराखंड में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में भाजपा इस बार राज्य में असम जैसी रणनीति अपना सकती है। यह रणनीति असम में भाजपा के लिए सफल रही थी। जिसके चलते पार्टी असम में दुबारा चुनाव जीत गई। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ 8 महीने का समय शेष है।इस समय राज्य में भाजपा की सरकार है। लेकिन उनके मुख्यमंत्री से जनता खुश नजर नहीं आ रही है। यही कारण था कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही बदल दिया गया।
उनकी जगह भाजपा ने राज्य नए मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत को चुना। लेकिन उनका यह दव भी सफल नजर नहीं आ रहा है। राज्य में कांग्रेस भाजपा को सीधा टक्कर देती है। या तो कांग्रेस जीतेगी या फिर भाजपा। अन्य किसी पार्टी के जीतने की उम्मीद नहीं होती। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने भी दस्तक दे दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव में क्या असर दिखाएगी। ALSO READ THIS:आरपीएफ जवान पर पत्नी की हत्या का आरोप, 3 दिन पहले महिला ने बेटी को दिया था जन्म….
उत्तराखंड में भाजपा द्वारा असम जैसी रणनीति अपनाना यह साफ दर्शाता है कि मौजूदा सरकार से राज्य की जनता खुश नहीं है। हाल ही में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के कुछ बयानों ने पार्टी की मुसीबतें भी बढ़ा दी थी। इससे पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के बयान भी कुछ इसी प्रकार के थे। इसलिए भाजपा इस बार उम्मीदवार का नाम बताए बिना चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है।
पार्टी ने यही फॉर्मूला असम में भी अपनाया था। पार्टी ने उस समय राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को बतौर मुख्यमंत्री उम्मीदवार पेश नहीं किया। जब भाजपा फिर से चुनाव जीती तो उन्होंने हेमंत बिस्वा सरमा को नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। लेकिन उत्तराखंड में भाजपा की इस रणनीति के पीछे कुछ लोगों का मानना है कि राज्य में पार्टी के पास लगभग आधा दर्जन मुख्यमंत्री पद के दावेदार है। सभी अपने अपने क्षेत्रों के मजबूत नेता है। ऐसे में भाजपा इस बार उम्मीदवार का नाम बताए बिना चुनाव लड़ सकती है। ALSO READ THIS:युवाओं के लिए बिजली विभाग में निकली है नौकरी, जानिए पूरी प्रक्रिया..