कोरोनाकाल में फर्जी खबरें भी बहुत तेजी से वायरल हो रही है। हाल ही में न्यूज पेपर की एक कटिंग में 5G टेस्टिंग को मौत का जिम्मेदार बताया जा रहा है, आपको बता दें की इस न्यूज़ पेपर ग्राफिक में दावा किया जा रहा है कि, भारत में 5G के परीक्षण पर प्रतिबंध लगाना चाहिए क्योंकि इसी ने कोरोनावायरस की दूसरी लहर को जन्म दिया है। इसके अलावा इस ग्राफिक में यह भी दावा किया गया है की, जैसे 4G टावरों के विकिरण से गौरैया और पक्षियों को नुक्सान पहुंचा, अब वैसे ही भारत में 5G टेस्टिंग से इंसानों की मौत का कारण बन रहा है।
अब देखते हैं की क्या ये खबर सच साबित होती है या नही। बहुत से ग्रुप में ये मेसेज वायरल हो रहा है। जब इसके बारे में छान बीन करी तो आपको बता दें की आज हम पूरी तरह से 5G नेटवर्क से जुड़े हैं।आपको बता दें की, सीओवीआईडी ट्रैकिंग वेबसाइट वर्ल्डोमीटर के अनुसार इन देशों ने क्रमश 511 और 8 समाचार से मामले दर्ज किए, और इस प्रकार से कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के पीछे 5G रेडिएशन का कोई सबूत नहीं है। वहीं, तेजी से वायरल हो रही इस पोस्ट को, भारत की फैक्ट चेकिंग विंग ने भी ग़लत बताया है।
5G रेडिएशन COVID-19 की दूसरी लहर का कारण नहीं सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि कोरोना नहीं बल्कि 5G नेटवर्क की वज़ह से लोग बीमार हो रहे हैं, बीते वर्ष फरवरी माह में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 5G से संभावित स्वास्थ्य जोखिम पर स्पष्टीकरण देते हुए अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर ‘FACT: 5G mobile networks DO NOT spread COVID-19’ से एक पोस्ट सांझा की है। जानकारी के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 5G मोबाइल नेटवर्क की रेडियो तरंगों से कोविड-19 का संक्रमण नहीं फैलता है, क्योंकि कोरोना वायरस उन देशों में भी फैला है, जिनके पास 5G मोबाइल नेटवर्क नहीं है। इसलिए ये साबित हो जाता है की 5G रेडिएशन से ये संक्रमण नही फैल रहा है। इसलिए ये वायरल न्यूज गलत है। आप कोई भी ऐसी खबर को वायरल मत कीजिए।Dainik Circle को गूगल न्यूज़ पर फॉलो करने के लिए क्लिक करे Dainik Circle पर
दावा: जिस महामारी को #कोरोना का नाम दिया जा रहा है वह कोरोना नहीं बल्कि 5g टावर की टेस्टिंग के दुष्परिणाम हैं। #PIBFactCheck: यह दावा #फ़र्ज़ी है। विश्वव्याप्त महामारी #कोविड19 के संदर्भ में ऐसी गलत सूचनाएँ साझा न करें व सही जानकारी हेतु प्रमाणित सूत्रों पर ही विश्वास करें। pic.twitter.com/khAQvpq00C
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 27, 2021
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