हाल ही बीते 74वें स्वतंत्रता दिवस पर करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का दिल टूट गया। क्योंकि इस दिन भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्टेन कूल यानी माही ने अपने इंस्टाग्राम पर अंतराष्ट्रीय क्रिकेट फॉर्मेट से सन्यास लेने की बात को साझा किया । यह खबर जब उनके फैन्स तक पहुंची तो उनके फैन्स भावुक हो गए। कि अब भारतीय क्रिकेट टीम में अंतिम अनुभवी बल्लेबाज और अपनी कूल केप्टेंसी के लिये जाने जाना वाला माही अब अंतराष्ट्रीय क्रिकेट फॉर्मेट में नहीं दिखेगा। उनके रिटायरमेंट के पोस्ट को पढ़ सैकड़ों फैन्स रो पड़े। अपने क्रिकेट के सफर में माही ने न जाने कितनी बार अपनी बैटिंग और कैप्टेन्सी के दम पर कितने फैन्स के प्यार बटोरा। भारत को 2011 का वर्ल्डकप दिलवाने में तथा 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी का विजयी बनाने में माही का काफी बड़ा हाथ था। माही के लिये जितना कुछ कह जाय उतना कम है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी उत्तराखंड के अल्मोड़ा के ल्वाली से ताल्लुख रखते हैं। लेकिन बीते 15 सालों में एक भी बार माही अपने पैतृक गांव अल्मोड़ा के ल्वाली नहीं गए। उत्तराखंड में बढ़ रहे पलायन का दंश माही का गांव ल्वाली भी झेल रहा है।
आज उत्तराखंड के अल्मोड़ा के ल्वाली गांव में कई सुविधाएं ऐसी हैं जिनसे लोग आज भी जूझ रहे हैं। यहां के लोगों का विश्वास है कि अब क्रिकेट जगत से संन्यास लेने के बाद धोनी एक न एक बार अपने गांव ज़रूर आएंगे साथ ही गाँव में युवाओं का मार्गदर्शन भी करेंगे। आपको बता दें कि महेंद्र सिंह धोनी आज से ठीक 15-16 साल पहले यानी 2004 में अपने गांव गए थे वहीं गांव में उचित रोज़गार न मिल पाने के कारण इनके पिता ने गांव छोड़ दिया तथा रोज़गार की खोज में पलायन कर रांची चले गए।
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इतना ही नहीं कैप्टन कूल की शादी पूरे उत्तराखंड के रीति रिवाजों के साथ हई वहीं इनकी पत्नी भी पहाड़ से है इनकी पत्नी देहरादून की है तथा धोनी कभी कभी छुट्टियों पर देहरादून चले आते हैं। अब धोनी के रिटायर होने के बाद उत्तराखंड लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि धोनी को अब उत्तराखंड आजाना चाहिए और उत्तराखंड में पलायन, स्वरोजगार के क्षेत्र में वार्ता करनी चाहिए। ताकि उत्तराखंड का कुछ भला हो।