जनसंख्या मसौदा विधेयक विचार एवं कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने सोमवार को सीएम ऑफिस में दिखाए जिसमे दो से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं करने की मसौदा पेशकश की। इस मसौदे के अनुसार जिस परिवार में दो से अधिक बच्चे हैं उन परिवारों को सरकारी फायदों से दूर रखा जाएगा। मसौदा विधेयक के मुताबिक ऐसे परिवार को सरकारी नौकरियों में आवेदन करने, स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने अथवा किसी भी तरह की सब्सिडी से रोकने का प्रावधान है। इसके शुरुआती वर्जन को विधि आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था यह प्रकाशन 9 जुलाई को किया गया इसके बाद 19 जुलाई को जनता से भी सुझाव मांगे गए।
अब सोमवार को विधि आयोग ने एक बयान जारी किया कि हर राष्ट्रवादी के लिए बढ़ती जनसंख्या एक चिंता का विषय बना हुआ है। अब आयोग ने राय दी है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी एक स्वतंत्र कानून बनना चाहिए, साथ ही जो दो-बाल परिवार नीति का पालन कर रहे है उनको प्रोत्साहन मिलना चाहिए। साथ ही जो इस कानून का उल्लंघन नहीं करता उनको स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने और राज्य कल्याणकारी योजनाओं से प्रतिबंधित कर देना चाहिए। आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की और इसे संशोधित मसौदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऑफिस में जमा किया गया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि 99.5 % लोग इस जनसंख्या नियंत्रण कानून के हित में है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों एवं वकीलों से आयोग को करीब 8,500 सुझाव भी मिले। वहीं सपना त्रिपाठी का कहना है कि कहा सुप्रीम कोर्ट इस कानून और नीति के खिलाफ नहीं है। साथ ही उन्होंने इस नीति को देश के कल्याण के लिए और देश के विकास के लिए बताया है।यह नीति सरकार अधिसूचित तिथि पर लागू करेगी।
वहीं इस नीति को अपनाने वाले लोगों को भी बहुत से सरकारी फायदे मिलेंगे, जैसे-घर खरीदने और बनाने के लिए भी काम ब्याज का लोन ले सकते है। हाउस टैक्स, पानी का बिल, बिजली का बिल और सीवरेज टैक्स पर भी छूट दी जाएगी। डेवलपमेंट अथॉरिटी या हाउसिंग बोर्डसे प्लॉट खरीदने पर भी सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा।साथ में सरकार को तरफ से बीमा कवर और मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल भी दी जाएगी।
सरकारी नीति का उल्लंघन
यदि किसी व्यक्ति के दो से ज्यादा बच्चे हैं, जिनमें से एक का जन्म तय तारीख के बाद हुआ है तो वह एक तरह से सरकारी नीति का उल्लंघन के अंदर आयेगा। यानि पहले से ही दो बच्चों वाला व्यक्ति भी अधिनियम की अधिसूचना में एक साल के अंदर तीसरा बच्चा पैदा कर सकता है। साथ ही कोई भी कपल यदि अपनी मर्जी से नसबंदी करवाता है, जिसमे पत्नी की उन्र 45 साल है और उनके बच्चे की उम्र 10 साल है तो उसे भी इस पाॉलिसी के अंदर कंसीडर किया जाएगा।
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