राज्य के चमोली जिले में स्थित जोशीमठ से लगभग आधा भू भाग धराशाई हो चुका है जोशीमठ में कई मकानों और बड़े होटलों में गहरी दरारें आई हैं साथ ही कई मंदिर भी जमीन में समा चुके हैं हालांकि सरकार द्वारा अब इस पर अब सुध ले ली गई है।
वहीं आवासीय मकानों में रहने वाले लोगों को भी सुरक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए जोशीमठ से विस्थापित कर दिया गया है साथ ही उनकी प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने में सरकार पूरा सहयोग कर रही है।
आता हुआ हर एक दिन जोशीमठ से भू धंसाव के खतरे का और अधिक संकेत दे रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जोशीमठ का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
जोशीमठ सिर्फ एक स्थान नहीं है बल्कि यहां से लाखों लोगों की आस्था भी जुड़ी हुई है प्राचीन समय में यह अध्यात्म का केंद्र हुआ करता था। जोशीमठ में कई हिंदू मंदिर भी स्थित है जिससे कई लोगों की आस्था जुड़ी हुई हैं लेकिन पिछले कुछ समय से जोशीमठ में स्थित कई मंदिर भू धराशाई हो गए हैं
अभी ताजा मामला जोशीमठ स्थित संकराचार्य माधव स्थित शिवलिंग में दरार पड़ने का आया है इससे पूर्व भी शहर के सिंहधार वार्ड स्थित माता भगवती का मंदिर भी जमीन में समा गया था।
वही जोशीमठ के ज्योतिर्मठ परिसर के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि परिसर के लक्ष्मी नारायण मंदिर और मुख्य प्रवेश द्वार पर भी गहरी दरारें आई हैं इसके साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी स्थल नर्सिंह मंदिर में भी गहरी दरारें आई हैं।
अन्य कई मंदिरों में भी दरारें आई है इस विषय पर स्वामी अवमुक्तेस्वर सरस्वती ने नाराजगी जताते हुए कहा की सरकार द्वारा पिछले 1 साल से इस मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाया गया।जबकि भू धंसाव का मामला लगभग 1 साल से शीर्ष पर था।
हालांकि अब सरकार द्वारा जोशीमठ की सुध ले ली गई है। वही आसपास के ग्रामीणों को भी विस्थापित कर लिया गया है और उनकी सुरक्षा, और जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है।