उधार लेकर खोली थी दुकान और अपने ही गांव के लोगों ने कुल्हाड़ी से दुकान तोड़ गधेरे फेंक दी।

दोस्तों कोरोना महामारी ने लाखों लोगों को बेरोजगार बना दिया व कई लोगों की जान लेली ऐसी स्तिथि में कई लोग अपनी आजीविका के लिये इधर उधर भटक रहे हैं।

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The shop was opened by borrowing and the people of his own village broke the shop with an ax and threw the donkeys.

दोस्तों कोरोना महामारी ने लाखों लोगों को बेरोजगार बना दिया व कई लोगों की जान लेली ऐसी स्तिथि में कई लोग अपनी आजीविका के लिये इधर उधर भटक रहे हैं। वहीं कुछ लोगों द्वारा अपने छोटे मोटे उद्योग खोले भी जा चुके हैं। लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो अपने व अपने परिवार के लिये रोटी कपड़े की तलाश में निरन्तर प्रयास रत हैं। लेकिन क्या हो अगर आप बहुत से लोगों से कर्ज लेकर यह सोचकर अपना कार्य शुरू करने की सोचे कि ठीकठाक काम चला तो व्यापार भी सही चलेगा और लोगों के पैसे भी वापस दे दिए जाएंगे। लेकिन आपका काम शुरू होने से पहले ही कुछ ऐसे लोग जो आपको आगे बढ़ता नहीं देखना चाहते वो आकर आपकी मेहनत पर पानी फेर दें आपके मन में उस समय क्या बीतेगी। आपके अंदर कुछ देखने को होगा तो सिर्फ इन नीच लोगों के प्रति आक्रोश।

The shop was opened by borrowing and the people of his own village broke the shop with an ax and threw the donkeys.

जी हां दोस्तों ऐसा ही कुछ हुआ है उत्तराखंड के बागेश्वर में जहां ऐसी खबर सामने आई जिसने मानवता को शर्मिंदा कर दिया। दरहशल सीमी नगरोल गांव में श्री प्रेम राम के लड़के कोरोना महामारी के दौरान गांव में आ गए। तीन महीने की अपार बेरोज़गारी की मार झेलते हुए इन्होंने स्वरोजगार का विकल्प चुनते हुए इधर उधर से कर्ज जुटाया और अपने लिये एक रेहड़ी खरीदी ताकि कुछ धन कमाया जा सके। इसके बाद रेहड़ी तो लेली लेकिन रेहड़ी में बेचने के लिये भी तो कुछ होना चाहिये जिसके बाद रेहड़ी के लिये उन्होंने अन्य कर्ज़ लेकर सामान इक्कट्ठा किया। और अपनी एक छोटी सी दुकान खोलने की सोची।

कल शाम को दुकान का शुभारंभ हो ही जाता अगर अपने ही गांव में बैठे आस्तीन के सांप जैसे लोग उनकी रेहड़ी को कुल्हाड़ी से काटकर गधेरे न फेंकते। जिसके बाद इस युवा की कोशिश पर पानी फिर गया। युवा के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा इस युवा ने सोचा क्या था और हो क्या गया।

The shop was opened by borrowing and the people of his own village broke the shop with an ax and threw the donkeys.

ऐसी घटनाओं ने लोगों की विकृत मानसिकता साफ झलकती है। न जाने आखिर ये विकृत मानसिकता के लोग कब सुधरेंगे खुद तो कुछ करते नहीं साथ ही दूसरे को भी अपने जैसा समझते हैं। और उसके कार्य में भी बाधा बनते हैं। लेकिन सारी वारदात के बाद भी प्रसाशन अभी भी चुप है क्या मेहनती लोगों की मेहनत का यही फल होता है। क्या ऐसे लोगों के लिये कोई प्रसाशन नहीं है। अभी भी इन बदमाशों का कुछ पता नहीं चला है। अगर यह बात यहीं खत्म होगी तो आने वाले समय में ऐसी घटनाओं को पुनः अंजाम दिया जाएगा। ऐसे में उत्तराखंड में पलायन में निश्चित हैं।

दैनिक सर्किल निवेदन करता गांव के प्रधान, ग्रामवासी, व प्रसाशन से इस शख्श को जल्दी से जल्दी न्याय दिलवाने में मदद करें।आपका पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल अब गूगल एप्प पर भी फॉलो करने के लिए क्लिक करे…. Dainik circle news par

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