भगवान मद्महेश्वर पंच केदारों में से दूसरे स्थान पर पूजे जाते हैं। जल्द ही भगवान मद्महेश्वर अपने नए सिंहासन पर विराजमान होने वाले हैं। चांदी के पुराने सिंहासन को बदलकर उनके लिए नया सिंहासन बनवाया गया है। पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से गुरुवार को भगवान मद्महेश्वर को धाम प्रस्थान के लिए सभा मंडप में लाया गया। भगवान का सिंहासन 11.50 किलों शुद्ध चांदी से बनाया गया है। आखिरी बार भगवान मद्महेश्वर का सिंहासन सौ साल पहले बदला गया था। इसलिए यह पल बेहद खास भी है।
कर्नाटक के उढ़ती में भगवान मद्महेश्वर के लिए इस नए सिंहासन को बनवाया गया। वहीं पर पूजा-अर्चना, अभिषेक और हवन से सिंहासन को शुद्ध किया गया। एक हफ्ते पहले उत्तराखंड के ऊखीमठ में सिंहासन को लाया गया है। सिंहासन का शुद्धिकरण कर गुरुवार को पूरे विधि विधान के साथ भगवान को सिंहासन पर विराजमान किया गया। भगवान का पुराना सिंहासन 100 साल पुराना था। उस वक्त इसे 8 किलो चांदी से बनाया गया था। अब भगवान के लिए 100 साल बाद एक नया सिंहासन अर्पित किया गया है।
24 मई को भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट खोले जाएंगे। भगवान की उत्सव डोली यात्रा ओंकारेश्वर मंदिर से मंगोलीचारी तक पैदल जाएगी। उत्सव डोली पहले रांसी से गोंडार जाएगी। इसके बाद सोमवार को गोंडार से भगवान की यह डोली मद्महेश्वर धाम के लिए रवाना होगी। कोरोना के कारण मात्र 20 लोगों को ही डोली के साथ जाने की अनुमति है। कपाट खोलने की सभी तैयारियां की जा चुकी है। 24 मई की सुबह 11:30 बजे श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। कोरोना गाइडलाइन्स का पालन किया जाएगा।