
सड़क नहीं, तो वोट नहीं चमोली के दो गांवों में मतदान का बहिष्कार: चमोली जिले के देवाल विकासखंड के कुलिंग दिदीना और नारायणबगड़ के नाखोली गांव के ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को सड़क न बनने के विरोध में मतदान का बहिष्कार किया। ग्रामीणों ने प्रशासन के बार-बार समझाने के बावजूद मतदान नहीं किया।
नाखोली ग्रामसभा में कुल 350 मतदाता हैं, लेकिन एक भी वोट नहीं पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक गांव तक सड़क नहीं पहुंचेगी, वे चुनावों से दूरी बनाए रखेंगे।
अब भी इन गांवों के लोग चार किमी तक पैदल चलने को मजबूर हैं। पहले चरण के पंचायत चुनाव में जहां अधिकतर क्षेत्रों में उत्साह देखा गया, वहीं इन गांवों में गुस्से और उपेक्षा की आवाज सुनाई दी।
नाखोली ग्रामसभा में प्रधान और पंचायत सदस्य के लिए किसी ने नामांकन नहीं भरा। हालांकि अन्य पदों के लिए चुनाव होना था, इसलिए प्राथमिक विद्यालय में बूथ बनाया गया।
सुबह 8 से शाम 5 बजे तक कोई भी मतदाता वोट डालने नहीं पहुंचा।
गांव तक पहुंचने के लिए आज भी लोगों को बजांणबैँड से दो किमी खड़ी चढ़ाई पैदल तय करनी पड़ती है।
पूर्व प्रधान श्याम सिंह बिष्ट के मुताबिक, ग्रामीण आजादी के बाद से सड़क की मांग कर रहे हैं।
2018 में सिमली-नाखोली तीन किमी सड़क मंजूर हुई थी, पर अब तक 2018 में सड़क को मंजूरी मिली, लेकिन लोनिवि ने अब तक वन विभाग से भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी नहीं की।बदरीनाथ वन प्रभाग में मामला फंसा हुआ है, जिससे निर्माण शुरू नहीं हो पाया।
गांव की आबादी 400 से ज्यादा है, लेकिन सड़क न होने से कई परिवार पलायन कर चुके हैं।यहां 251 वोटर हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उम्मीदें टूट रही हैं।निर्माण शुरू नहीं हुआ। जिम्मेदारी लोनिवि थराली की है।
नामांकन नहीं, न ही मतदान!
नाखोली अब एक पृथक ग्राम सभा है, लेकिन पंचायत चुनावों में किसी ने भी प्रधान, क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत सदस्य पद के लिए नामांकन नहीं किया।
यह गांव सणकोट क्षेत्र पंचायत और कोठली जिला पंचायत के तहत आता है।
मतदान केंद्र पर एक भी वोट नहीं पड़ा।
ग्रामीणों ने बताया कि SDM थराली कमलेश मेहता ने उन्हें मतदान के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन सभी ने साफ इनकार कर दिया।
महिला मंगल दल अध्यक्ष यशोदा देवी ने कहा – बीमारी हो या रोजमर्रा की जरूरतें, हर चीज के लिए गांव वालों को पैदल पहाड़ चढ़ना पड़ता है। हालात बेहद चिंताजनक हैं
देवाल ब्लॉक के 52 बूथों में से 51 पर मतदान शांतिपूर्ण रहा, लेकिन कुलिंग ग्राम पंचायत में एक भी वोट नहीं पड़ा। “सड़क नहीं तो वोट नहीं” के नारे के साथ ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया। निर्वाचन अधिकारी योगेन्द्र प्रसाद सेमवाल के अनुसार, कुल 245 मतदाता होने के बावजूद कोई मतदान नहीं हुआ। बताया गया कि ग्रामीणों को गांव पहुंचने के लिए आज भी 6 किमी पैदल चलना पड़ता है।
देवाल से कुलिंग तक का सफर 26 किमी का है, लेकिन 2018 में भूस्खलन के बाद गांव के करीब 60 परिवारों को 6 किमी दूर दिदीना तोक में विस्थापित किया गया था। अब ग्रामीण कुलिंग से दिदीना तक की कठिन चढ़ाई पार कर जीवन बिता रहे हैं। 2010 में 9.5 किमी लंबी सड़क को दिदीना होते हुए बुग्याल तक बनाने की योजना बनी थी, लेकिन वन स्वीकृति के अभाव में सड़क कुलिंग से आगे नहीं बढ़ पाई।
गांव में किसी भी पद के लिए कोई नामांकन नहीं हुआ। न सिर्फ ग्राम पंचायत बल्कि जिला व क्षेत्र पंचायत के चुनाव का भी ग्रामीणों ने पूरी तरह बहिष्कार किया।
अब ग्रामीणों की एक ही आवाज़ है — जब तक सड़क नहीं, तब तक लोकतंत्र से दूरी ही सही।